Poetry collection dedicated to daughters : बेटियों को समर्पित कविता संग्रह आई गिफ्ट यू ए रेनबो…लेखिका जाह्वनी पाण्डेय

Poetry collection dedicated to daughters : बेटियों को समर्पित कविता संग्रह आई गिफ्ट यू ए रेनबो…लेखिका जाह्वनी पाण्डेय

 

रमेश गुप्ता
भिलाई।

Poetry collection dedicated to daughters : लैंगिग भेदभाव समाज की एक कुरिती है जो कि आदिकाल से चली आ रही है। वर्तमान समाज भी इससे अछूता नहीं है। सभ्य समाज में आज भी बेटियां दहेज की आग में जल रही है। हालांकि इस बीच लोगों की सोच भी बदली है।

Poetry collection dedicated to daughters : बदलते समाज के बी लैंगिग भेदभाव पर चोट करती लेखिका जाह्नवी पाण्डेय की कविता संग्रह “आई गिफ्ट यू ए रेनबो” प्रकाशित हो गई है। अमेजॉन पर इसे आप सीधे खरीद सकते हैं। इस कविता संग्रह के संबंध में लेखिका जाह्नवी पाण्डेय ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कई बातें रखीं।

Poetry collection dedicated to daughters : यहां आपकों यह भी बता दें कि जाह्नवी पाण्ड़ेय दुर्ग जिला पुलिस कप्ताह शलभ कुमार सिन्हा की धर्मपत्नी है। शुरू से ही साहित्य में रूचि रखने वाली जाह्नवी पाण्डेय ने अपनी कलाकृति में समाज को आईना दिखाने का प्रयास किया है।

पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि कई रचनाएं कालजयी हैं। आई गिफ्ट यू ए रेनबो के जरिए हम लैंगिक समानता की बात करेंगे। जहां पर बच्चियों को समान अवसर मिले।

अभी तक कोई आदमी दहेज प्रताड़ना से जलकर नहीं मरा है। दहेज की आग में केवल बेटियां जलती हैं। बेटियों को भी समान अवसर मिलना चाहिए। माता पिता को भी यह भेदभाव नहीं करना चाहिए।

हर जगह है पुरुषवादी सोच
जाह्नवी पाण्ड़ेय का कहना है कि पुरुषवादी सोच हर जगह में है। कहीं न कहीं हम कहते हैं कि बेटे-बेटी में भेद नहीं करते लेकिन बेटी को दहेज देकर दायित्व पूरा हो गया समझ लेते हैं।

हम संपत्ति में बेटे को हिस्सा देते हैं बिटिया को नहीं देते। हम तो कहते भी हैं तुम तो पराया धन है। यह कैसी त्रुटिपूर्ण सोच है जहां अपने ही खून को कह दें कि तुम पराया धन है।

जब अपना खून पराया है तो फिर अपना है कौन। उस सोच की जड़ पर हमला करना चाहते हैं। इस किताब के जरिए ऐसी बातों पर लोगों का ध्यान खींचने का प्रयास किया गया है।

हर पाठक के लिए है यह रचना
किताब के संबंध में जाह्नवी पाण्डेय ने कहा कि हर पाठक के लिए यह रचना है। उन्होंने बताया कि इस संग्रह की प्रेरणा उनकी बेटी है। बिटिया ने दुनिया में आते ही हमारी दुनिया बदल दी। उसके लिए ही कुछ कविताएं लिखी थी।

फिर लगा, ये इतनी प्यारी कविताएं हैं तो सभी तक पहुंचनी चाहिए। इसलिए प्रिंट करवाने का निर्णय लिया। इस तरह इस कविता संग्रह का प्रकाशन हुआ। उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही किताबें लिख रही है 7 महीने में 365 किताबें लिख चुकी है जिसमें से अच्छे सरल शब्द के 62 कविताओं का प्रकाशन किया हैl

आईपीएस पति का पूरा योगदान
जाह्नवी पाण्डेय ने बताया कि उनकी इस उपलब्धि में उनके पति आईपीएस शलभ कुमार सिन्हा का भी पूरा योगदान है। उन्होंने बताया कि वह गोली की बात करते थे और मैं कलम की उसके बाद भी हमारे बीच में बहुत अच्छा ट्यूनिंग बनी हुई है।

उन्होंने मुझे कभी भी मेरे इस काम के लिए रोका नहीं, यही वजह है इतनी अच्छी किताब लिख पाई। उन्होंने बताया कि वे हिन्दी व छत्तीसगढ़ी भी लिखती हैं।

जाह्नवी पाण्ड़ेय ने यह भी बताया कि इसके अनुवाद के बारे में अभी सोचा नहीं है लेकिन वे प्रयास करेंगी कि इस किताब का हिन्दी व छत्तीसगढ़ी अनुवाद भी जल्द प्रकाशित हो।

इस अवसर पर एडिशनल एसपी संजय ध्रुव ,डीएसपी शिल्पा साहू ,Ti नवी मोनिका पांडे (छावनी थाना प्रभारी), कंट्रोल रूम प्रभारी मीणा ध्रुव, पुलिस pro प्रशांत शुक्ला मौजूद थे l

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