75 वां कान फिल्म समारोह 2022
फ्रांस के मशहूर फिल्मकार माइकल हाजाविशियस की जोंबी कामेडी फिल्म ' कूपेज '( फाइनल कट) के प्रदर्शन के साथ 75 वें कान फिल्म समारोह ( 17-28 मई) की शुरुआत हुई है।
Read Moreफ्रांस के मशहूर फिल्मकार माइकल हाजाविशियस की जोंबी कामेडी फिल्म ' कूपेज '( फाइनल कट) के प्रदर्शन के साथ 75 वें कान फिल्म समारोह ( 17-28 मई) की शुरुआत हुई है।
Read Moreदेश की आजादी के बाद यदि कोई सबसे ज्यादा क्रांतिकारी योजना आई तो उसका नाम था महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना जिसे आम बोलचाल में मनरेगा कहा जाता है। कांग्रेस शासन काल में लाई गई मनरेगा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बहुत से बोल वचन बोले और मनरेगा को कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताया था। उन्होंने कहा था मेरी राजनीतिक सूझबूझ कहती है कि मनरेगा को कभी बंद मत करो। मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं।
Read Moreउदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर चल रहा है लगभग आठ साल बाद कांग्रेस ने चिंतन की जरूरत महसूस की है। इस शिविर के उद्घाटन भाषण में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इस शिविर में देश की स्थिति के साथ ही आत्मचिंतन भी करना है। इस शिविर के माध्यम से पार्टी में क्या परिवर्तन लाए जा सकते हैं और उनका देश की राजनीति पर क्या असर पड़ सकता है ये बड़ा मुद्दा है। 2003 में जब शिमला में कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित हुआ था तब भी कांग्रेस सत्ता से दूर थी, लेकिन उस शिविर में बड़ा एजेंडा सेट किया गया। उस पर सोनिया गांधी की अगुवाई में काम हुआ और उसका परिणाम था कि कांग्रेस लगातार दस साल देश की सत्ता पर काबिज रही। तो क्या 2003 में शिमला से चला जादू 2022 में उदयपुर से भी चल सकता है इसे समझने की कोशिश करते हैं। सोनिया गांधी ने जो अहम बात अपने संबोधन में कहीं उन्होंने कहा कि हमें हमारी कमजोरियां पता है, और हम पार्टी को फिर पुरानी स्थिति में खड़े कर देंगे। सोनिया गांधी ने कहा कि हम विशाल प्रयासों से ही बदलाव ला सकते हैं, हमें निजी अपेक्षा को संगठन की जरूरतों के अधीन रखना होगा। पार्टी ने बहुत दिया है। अब कर्ज उतारने की जरूरत है। एक बार फिर से साहस का परिचय देने की जरूरत है। हर संगठन को जीवित रहने के लिए परिवर्तन लाने की जरूरत होती है। हमें सुधारों की सख्त जरुरत है। ये सबसे बुनयादी मुद्दा है।
Read Moreहिन्दी सिनेमा में एक मशहूर गाना है- 'ये मुलाकात तो एक बहाना है, प्यार का सिलसिला पुराना है। दरअसल छत्तीसगढ़ में इन दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाकात के नाम से सघन दौरा करके गांव-गांव तक पहुंच रहे हैं। गांव में पहुंचकर सरकारी व्यवस्थाओं का औचक निरीक्षण कर दोषी अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ जहां एक ओर कड़ी कार्यवाही कर रहे हैं, वहीं लोगों की शिकायत सुनकर उन्हें यथासंभव मौके पर मदद भी कर रहे हैं। कुछ लोगों को मुख्यमंत्री की भेंट मुलाकात का पूरा कार्यक्रम स्क्रिप्टेड लग रही है, जबकि यह एक तरह से जनता से सीधा-संवाद का माध्यम है। चूंकि यह कार्यक्रम घोषित है इसलिए अधिकारी अपनी ओर से अच्छे दिन का सपना दिखाने में सारी व्यवस्था चाक-चौबंध है, यह बताने में लगे हुए हैं। किन्तु सच किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है। ऐसा नहीं है कि भूपेश बघेल ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जो इस तरह से सघन दौरा कर रहे हैं।
Read Moreहमारे देश में इस समय आवारा भीड़ के खतरे ज्यादा ही बढ़ गए हैं। यह भीड़ धर्मध्वजा लेकर यहां-वहां निकल पड़ी है। धर्म और संस्कृति की रक्षा के नाम पर निकली यह भीड़ बहुत आक्रामक है। यदि समय रहते इस भीड़ को नियंत्रित नहीं किया गया तो पता नहीं आने वाले समय में यह भीड़ लाल किले से लेकर संसद तक चढ़ाई करके अपने ही सिपहसलारों के लिए भस्मासुर बन जाएगी। गुरु हरशंकर परसाई ने इस आवारा भीड़ के खतरे को पहचान लिया था। वे कहते हैं कि- यूरोप में दूसरे महायुद्ध के दौरान जो पीढ़ी पैदा हुई। उसे लास्ट जनरेशन (खोई हुई पीढ़ी) कहा जाता है। युद्ध के दौरान अभाव, ूभूखमरी, शिक्षा, चिकित्सा की ठीक से व्यवस्था नहीं हुई, युद्ध में सब बड़े लोग लगे, बच्चों की परवाह करने वाला कोई नहीं।
Read Moreवैश्विक बाजार के इस दौर में दुनिया में कहीं भी घटित घटना का असर सभी देशों पर पड़ता है। चीन के बुहान से निकले एक वायरस ने पूरी दुनिया को पिछले ढाई साल से हलाकान कर रखा है। ऐसे दौर में हाल में हमारे पड़ोस के देशों में हालात बेहद चिंताजनक है। हम समझने की कोशिश करते हैं कि इनका कितना असर भारत पर यानि पर पड़ सकता है।
Read Moreराम वाल्मिकी के भी हैं, तुलसी के भी और देश के बहुत से कथा वाचकों और लाखों-लाख रामायण मंडलियों के भी हैं। राम अयोध्या के हैं तो छत्तीसगढ़ के भी हैं। जिस भव्यता से अयोध्या में राम मंदिर बनाया जा रहा है, उसी भव्यता और भक्ति भाव के साथ छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ का निर्माण हो रहा है।
Read Moreहमारे देश में गांधी जी की दांडी यात्रा, लाल कृष्ण अडवानी की रथ यात्रा अपने-अपने कारणों से जानी जाती है। पिछले तीन दशक में धीरे-धीरे हमारे देश की फिजा में वैमनस्यता और उन विश्वास का जो माहौल तैयार किया जा रहा है, आज समूचे देश में वह उफान पर है। सोशल मीडिया ने इस सामप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरता, वैमनस्यता और अविश्वास के वातावरण को बढ़ाने में आग में घी का काम किया है।
Read Moreछत्तीसगढ़ में एक और नया जिला बनाए जाने की घोषणा हो चुकी है। खैरागढ़ में उपचुनाव को लेकर रस्साकसी के माहौल के बीच मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी है कि जल्द खैरागढ़ को नया जिला बनाया जाएगा। अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एकाउंट से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 अप्रैल को लिखा, सेव द डेट-16 अप्रैल को खैरागढ़ में कांग्रेस का विधायक बनेगा। 17 अप्रैल को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई नया जिला बनेगा।
Read Moreद ताशकंद फाइल्स के बाद विवेक अग्निहोत्री की एक दूसरी फिल्म आई है द कश्मीर फाइल्स। जो लोग सरकारी कामकाज कार्यशैली से परिचित हैं वे अच्छे से जानते हंै कि फाइल्स कैसे बनाई जाती है। पूरे सिस्टम में अलग-अलग तरह से फाइल्स बनाने के मास्टर होते हंै और जैसा चाहते हैं वैसा फाइल्स तैयार हो जाती है। दरअसल इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है कि आप चाहते क्या हैं। समूचे दस्तावेजों में से आप कौन से दस्तावेज को हाइलाइट करते हैं।
Read Moreफ़्रेंच नृत्यांगना पेरिस लक्ष्मी के लिए खजुराहो में नृत्य करना एक सपने के पूरा होने जैसा है। दक्षिण फ्रांस में जन्मी और केरल के कोट्टायम में नृत्य की साधना कर रही
Read Moreपांच राज्यों में हुए चुनाव में जिस तरह सोशल मीडिया की भूमिका रही, उस पर विचार जरूरी है। तकनीक ने आज हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, राजनीति और चुनाव पर तो इसका गहरा रंग चढ़ा है। एक दौर था जब ज्यादा समर्थक और कार्यकर्ता वाला व्यक्ति ज्यादा शक्तिशाली नेता नजर आता था लेकिन आज वो ज्यादा लोकप्रिय और प्रभावशाली नजर आता है जिसके पास सोशल मीडिया पर उसके पक्ष में माहौल बनाने वाले ज्यादा कुशल लोग हैं।
Read Moreपांच राज्यों के नतीजे आने के बाद कांग्रेस को कहना पड़ रहा है कि धरातल पर पहुंचने के लिए और अधिक कवायद करने की जरूरत है। कांग्रेस ने 'लड़की हूं लड़ सकती हूं का नरेटिव सेट किया और 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया। कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश में सभी सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, किन्तु उसे वोट और सीट में तब्दील नहीं कर सके। पंजाब की हार का ठीकरा कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर फोड़ रही है। उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा भी कांग्रेस उस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करा पाई जिसकी उम्मीद उसे थी। 2024 चुनाव का पहला सेमीफाइनल कहे जाने वाले इस मुकाबले को भाजपा ने जिस तरह फतह किया है उससे साफ है कि वो 2024 में होने वाले आमचुनाव के लिए तैयार है।
Read Moreसरकारी नौकरियों के प्रति आकर्षण का एक बड़ा कारण सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली ताउम्र मासिक पेंशन है। 2004 के बाद शासकीय सेवा में आने वाले कर्मचारी-अधिकारी को इस पेंशन से वंचित होना पड़ा। जिसके चलते शासकीय सेवकों में रिटायरमेंट के बाद कैसे जीवनयापन होगा इस बात का भय व्याप्त होने लगा था। इस बीच जहां कहीं भी वीआरएस की स्कीम आई और कर्मचारियों ने बैंक ब्याज दर, चिटफंड कंपनी, शेयर मार्केट और अन्य निवेश जिसमें घर बैठे निवेश करने पर भारी लाभ के सब्जबाग दिखाये जा रहे थे, वे धीरे-धीरे धोखा, ठगी साबित हुए। बढ़ती महंगाई, जमा राशि पर कम ब्याज दर और बीमारी आदि पर होने वाले खर्च के कारण जो भी जमा राशि थी, वह धीरे-धीरे कम होने लगी।
Read Moreपुस्तक लिखने वाले से पुस्तक बेचने वाला बड़ा होता है। कथा लिखने वाले से कथा वाचक बड़ा होता है। सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की यह व्यंग्योक्ति यूं ही नहीं थी। परसाई अपनी आंखों के सामने इस सच को घटित होता देख रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को रॉयल्टी के संबंध में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को दखल देनी पड़ी थी।
Read Moreसामान्यत: परंपरा अनुसार राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों का यशोगान किया जाता है, चाहे वह राज्यपाल मौजूदा सरकार की विरुद्ध विपक्ष की पार्टी का हो या केंद्र सरकार के प्रति गहरी निष्ठा रखता हो। राज्यपाल अपनी तमाम व्यक्तिगत असहमति, विवाद की स्थिति के बावजूद विधान सभा सत्र में सरकार की ओर से तैयार अभिभाषण में उसकी उपलब्धि का व्याख्यान करते हैं। जो विपक्ष को ना गवार गुजरता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के 13 सत्र में राज्यपाल अनुसुइया उइके के अभिभाषण पर विपक्ष में बैठे भाजपा के सदस्यों ने टोका टाकी करते हुए कहा की आप तीन बार से बजट भाषण दे रही है। सरकार आपसे झूठ बुलवा रही है। सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की जमकर तारीफ की। अक्सर जहां कहीं भी विपक्ष की सरकारें हैं वहां से अक्सर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव की खबरें आती रहती है, बावजूद इसके राज्यपाल को राज्य सरकार की ओर से तैयार अभिभाषण ही पढऩा होता है।
Read Moreहिन्दी, हिंगलिश बाजार की राजनीति भाषा अवश्य बन गई है किंतु उसकी साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रिकाएं धीरे-धीरे बंद हुई हैं। हिन्दी का पाठक कब दर्शक में तब्दील हो गया, यह हिन्दी भाषी लेखकों, संपादकों को पता ही नहीं चला। संपादक खुद धीरे-धीरे मैनेजिंग एडिटर में तब्दील हो गया। संपादक की जगह धीरे-धीरे इवेंट मैनेजर, लायजेनिंग पर्सन ने ले ली। तकनीक के विकास ने हमारे आसपास की बहुत सारी चीजों को यकायक नया, डिजिटल और कलरफुल सुनने, देखने लायक बना दिया। ऐसे सेल्फी और आत्ममुग्धता के समय में जहां प्रतिरोध के लिए आलोचना सुनने के लिए स्पेस की धीरे-धीरे कमी हो रही हो, तब एक कार्टून की पत्रिका के 25 साल पूरे होना अपने आपमें बड़ी बात है। अब कोई भी कबीर की सीख मानने तैयार नहीं है। उसे निंदक नियरे राखिए बिन पानी सब सुन में कतई विश्वास नहीं है। यह गोदी मीडिया का समय है जिसमें आलोचना, व्यंग्यात्मक टिप्पणी के लिए धीरे-धीरे स्थान खत्म हो रहा है। अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य के लिए स्थान बना हुआ है। वहीं कार्टून का कोना भी नदारद है। अब सोशल मीडिया पर मीम का समय है।
Read Moreऑपरेशन गंगा के माध्यम से यूक्रेन में फंसे लगभग 15000 भारतीयों को निशुल्क वापस लाने का अभियान जारी है। इस अभियान का नाम ऑपरेशन गंगा रखने के पीछे का छुपा उद्देश्य क्या है? अब जब कभी यूपीएससी की परीक्षा होगी तो इस तरह के प्रश्न पूछे जाना लाजमी होगा इसके लिए यह तीन विकल्प होंगे।
Read Moreपूरी दुनिया के लिए भारी पिछला दो साल जिसे कोरोना काल कहा जाता है, का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव स्टूडेंट्स, एजुकेशन और टीचर्स पर पड़ा है। एक बार फिर परीक्षा की घड़ी आ चुकी है, साल भर स्कूल नियमित नहीं जाने वाले छात्रों के सामने इम्तिहान का दबाव है। एक तरफ छत्तीसगढ़ के कुछ शहरों में छात्र संगठन इस मांग पर अड़े हुए हैं कि जब ज्यादातर पढ़ाई ऑनलाइन हुई है तो परीक्षा भी हम ऑनलाइन ही आयोजित करें। जबकि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन ऑफलाइन माध्यम के लिए मन बना चुके हैं। बहरहाल इस सबके बीच छत्तीसगढ़ में आज 02 मार्च से बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन शुरू हो रही है।
Read Moreआज रुस-यूक्रेन युद्घ छठवें दिन में प्रवेश कर गया है। सारी दुनिया की नजर इस युद्घ पर है। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं यह युद्घ तीसरे विश्व युद्घ में तब्दील न हो जाए। इस युद्घ को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ यूक्रेन पर विशेष सत्र बुला चुका है। इस युद्घ में जर्मनी और आस्ट्रेलिया इस लड़ाई में यूक्रेन के साथ खड़े दिख रहे हैं। दोनों देशों ने यूक्रेन को हथियार देने का फैसला किया है। आपरेशन गंगा के नाम से अभी तक यूक्रेन से 688 भारतीय नागरिकों को वापस बुलाया जा चुका है। 13 हजार भारतीय नागरिकों के यूक्रेन में फंसे होने की सूचना है। यूक्रेन पढ़ाई के ळिए गये छात्रों की वापसी का सिलसिला शुरु हो गया है। मेडिकल पढ़ाई, व्यापार के लिए गये।
Read Moreउत्तरप्रदेश के चुनाव में सड़कों पर छुट्टा घुमते पशुधन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री को चुनावी सभा में कहना पड़ा कि आवारा पशुओं से होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए 10 मार्च यानी चुनाव जीतने के बाद नई व्यवस्था बनाई जायेगी, जो पशु दूध नहीं देता, उससे भी कमाई हो ऐसी व्यवस्था की जायेगी। प्रधानमंत्री के भाषण की इस क्लिप को सोशल मीडिया पर शेयर करके छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमने छत्तीसगढ़ में कर दिखाया हमारी नेता ने उत्तरप्रदेश में अपनाया, कथित गुजरात माडल वालों ने आज मंच से छत्तीसगढ़ मॉडल गुनगुनाया।
Read Moreहमारे देश में संघीय व्यवस्था के तहत हर राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति केन्द्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति करते हैं। राज्यपाल वहीं लोग बनते हैं जो केन्द्र सरकार के करीबी और विश्वासपात्र होते हैं। पिछले कुछ सालों में राजनीति में सक्रिय लोगों को राज्यपाल बना दिया जाता है। देश के कई राज्यों में सरकार और राज्यपाल के बीच टकराहट की स्थिति है। हाल ही में पश्चिम बंगाल में विधानसभा सत्र को लेकर इसी तरह केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र में अलग अलग मुद्दों पर सरकार और राज्यपाल के बीच टकराहट की स्थिति है।
Read Moreभारत के सांस्कृतिक अभ्युदय की पवित्र भावना से ओतप्रोत पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद का दार्शनिक चिंतन वैश्विक कल्याण की विशुद्ध भारतीय परिकल्पना के शाश्वत विचार प्रवाह का वो अमृत कलश है जो समाज के अंतिम छोर पर खड़े शोषित, पीड़ित, निर्धन, निरीह और निराश व्यक्ति के समग्र उत्थान अर्थात अंत्योदय के प्रति समर्पित है। यह महज एक नारा नहीं वरन सर्वत्र मानव समाज का एकात्म रूप में दर्शन का जीवंत विचार है। यह यूरोपीय पुनर्जागरण के मानववाद से परे नए संस्करण में समग्र समाज को एक भिन्न दृष्टि से देखने के कारण नई समाज रचना का गतिशील प्रतिमान प्रस्तुत करता है।
Read Moreकुछ दशक पर स्काईलेब को लेकर एक अफवाह फैलाई गई, बाद में इसका बहुत मजाक बना। इसके बाद टेलीफोन के विकास के साथ ही साथ गणेश मूर्ति के दूध पीने की बात आई। हालांकि इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन अंधविश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं ये सामने आई। तकनीक के विकास के साथ कोरोना काल में तब्लिगी जमात को लेकर झूठ का जाल बुना गया। महामारी के दौर में समाज को बांटने की खतरनाक कोशिश सामने आई। दरअसल, ये सोशल मीडिया का जमाना है जो आये दिन अपनी मर्यादा लांघ रहा है और समाज में नई दीवार खड़ी करने के लिए एक टूल बनते जा रहा है।
Read Moreवैसे तो लता मंगेशकर ने सक्रिय तौर पर प्लेबैक सिंगिंग काफी समय से बंद कर दिया था. लेकिन उनके होने का एहसास ही गायन को एक नई ऊंचाई देती थी। लता दी 6 दशक से ज्यादा वक्त तक फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रही है। कई भाषाओं में तीस हजार से ज्यादा गीतों को स्वरबद्ध करने वाली लता दी ने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। देश के आम आदमी के जीवन के हर मोड़ को अपनी गायिकी से जीवंत करने वाली लता मंगेशकर की आवाज से लोगों का ऐसा जुड़ाव रहा है जैसे वो उनके घर की सदस्य हों। कह सकते हैं कि करोड़ों लोगों से उनकी आवाज ने निजी रिश्ता कायम कर लिया था।
Read Moreसिनेमा एक ऐसा माध्यम है जिससे किसी भी क्षेत्र की कला, संस्कृति, प्राकृतिक सौन्दर्य और वहां की विशेषताओं को आसानी से देश-दुनिया तक पहुँचाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने फिल्म नीति घोषित कर दुनिया भर के फिल्मकारों का ध्यान छत्तीसगढ़ की ओर आकृष्ट करने की ईमानदार कोशिश की है। यूं तो भारतीय सिनेमा का इतिहास 100 वर्ष का है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा ने भी 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं लेकिन देश-दुनिया में अधिकांश तौर पर जिस तरह छत्तीसगढ़ी सिनेमा की अलग पहचान बनानी चाहिए वह नहीं बन पाई है। हमेशा बॉलीवुड की नकल करने का आरोप लगता रहता है।
Read Moreराजनीति में शुचिता, अपराधीकरण से मुक्ति, जातिगत, धार्मिक भेदभाव से परहेज बिना प्रलोभननिर्भिक होकर अपने पसंद के साफ-सुथरी छबि वाले प्रत्याशी को चुनने की बात सभी राजनीतिक दल तो करते ही हैं पर टिकिट बांटते समय इससे उलट आचरण करते हैं। चुनाव आयोग भी अपने प्रचार में इसी तरह की बातें करता है। गाईड लाईन, आचार संहिता जारी करता है, बावजूद इसके राजनीति में अपराधीकरण का बोलबाला है। सुप्रीम कोर्ट ने भी राजनीति में अपराधीकरण को लेकर भी टिप्पणी की किन्तु किसी राजनीतिक दल के कानो में जूं तक नही रेंगी। एक शासकीय सेवक किसी भी अपराध में चालान प्रस्तुत होने के साथ ही अपनी नौकरी से निलंबित हो जाता है किंतु अपने आपको लोकसेवक करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि जो राजकोष से बहुत सी राशि, सुविधाएं लेते हैं, जेल में रहते हुए भी अपने पद पर बने रहते हैं, चुनाव लड़ते हैं। उत्तरप्रदेश विधानसभा के प्रथम चरण चुनाव में 632 उम्मीदवारों में से 101 उम्मीदवार अपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। ऐसे ही लोगों की विधानसभा लोकसभा में उपस्थिति को देखकर अदम गोडंवी जैसे शायर को कहना पड़ता है-
Read Moreमहाराष्ट्र के सांगली जिले में 'पुष्पा' फिल्म जैसी चोरी की खबर सामने आई है. पुलिस को एक ऐसा ट्रक मिला है जिसमें चोरी-छिपे 2 करोड़ 45 लाख रुपये का लालचंदन ले जाया जा रहा था. सांगली पुलिस और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन कर इस ट्रक को पकड़ा है. वहीं एक आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
Read Moreलोगों को रोजी-रोटी की गारंटी देने वाला आजादी के बाद देश में सबसे क्रांतिकारी कोई कदम था तो वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी एक्ट था। 7 सितंबर 2005 को इसकी अधिसूचना जारी हुई और 2 फरवरी 2006 से यह छत्तीसगढ़ में लागू हो गई। समूचे करोना काल में जब लोगों का मोह शहर से भंग हुआ और उन्हें वहां रोजी-रोटी के लाले पडऩे लगे तो वे गांवों की ओर लौटे। गांव में सामूहिकता, सहृदयता के साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा जैसी योजना थी।
Read Moreये तो बहुत अच्छा है कि खेल के क्षेत्र में खिलाड़ी के प्रदर्शन के आधार पर खिलाडिय़ों का चयन करते हैं। समूची प्रदर्शन कलाओं, खेल के क्षेत्र में चयन का आधार कलाकार, खिलाड़ी का परफारमेंस होता है किंतु शिक्षा, संस्कृति के क्षेत्र में पुरस्कार पाने के लिए स्वयं आवेदन करना पड़ता है। राष्ट्रपति पुरस्कार हो या राज्य पुरस्कार शिक्षकों को खुद अपनी फाइलें बनाकर जमा करना होता है।
Read Moreकेंद्र सरकार और अपने पूर्ववर्ती राज्य मध्यप्रदेश के पद चिन्हों पर चलते हुए छत्तीसगढ़ में भी सरकारी कामकाज के लिए पांच दिन का सप्ताह तय हो गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर यह घोषणा की।
Read Moreदिल्ली के राजपथ पर हर साल 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ विभागों की झांकी और सैन्य ताकत और अनुशासन को प्रदर्शित करने वाली परेड निकलती है। देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से अपने उद्बोधन देते हैं। इस बार की झांकी में मोदीजी के राजपथ पर भूपेश बघेल की गाय दिखाई देगी। गोधन हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी होने के साथ ही साथ पूजनीय भी है। यही वजह है कि हमारे देश में गाय कई बार दूध देने के अलावा दंगा कराने के काम भी आती है।
Read Moreकेन्द्र सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि आईएएस के मौजूदा कैडर में बदलाव के लिए नियमों में संशोधन करने जा रही है। कैडर की कमी के नाम पर दरअसल वह एक तरह से आपदा में अवसर की तलाश है। केन्द्र सरकार सीडीआर कोटा यानि सेंट्रल डेपुटेशन रिजर्व की 40 प्रतिशत सीमा को ध्यान में रखकर राज्यों से पूछ रही है कि आपके पास सीडीआर में कितने अधिकारी हैं। वर्तमान में 6999 आईएएस अधिकारियों का अमला स्वीकृत है जिसमें से 5205 अधिकारी उपलब्ध हैं। 1494 पद रिक्त हैं। हर वर्ष लोक सेवा आयोग के माध्यम से मात्र 180 आईएएस अधिकारी चयनित होते हैं। केन्द्र में बढ़ती योजनाएं और नये विभागों की जरुरत को देखते हुए न केवल केन्द्र में बल्कि राज्यों में आईएएस अधिकारियों की कमी हो रही है जिसके भर्ती के कोटे को बढ़ाने के लिए बातचीत जरुर होती है किंतु यह संख्या नहीं बढऩे की वजह से आईएएस अधिकारियों की कमी है।
Read Moreअगर आप अपने बच्चे को गुंडा बनाना चाहते हैं तो आपको उसके पीछे अपना दिन रात एक करना होगा। जब आप अपनी रातों की नींद खराब करेंगे तब आपका बेटा इस लायक बनेगा कि वह पूरे मोहल्ले की नींद हराम कर सके । बेटे को डाक्टर और इंजीनियर बनाने में मां-बाप को जितना परिश्रम और त्याग करना होता है। उतना ही त्याग और परिश्रम बेटे को गुंडा बनाने में करना होता है 7 कोई भी उपलब्धि बैठे ठाले प्राप्त नहीं हो जाती। यहां जो विधि बताई जा रही है यह टू इन वन है। यानि बच्चे को गुंडा बनाना है तो भी यह विधि आपके काम की है और उसे गुंडा बनने से बचाना है तब भी यही विधा आपका मार्ग दर्शन करेगी।
Read More18 मार्च के पश्चात स्थिति बिगड़ती ही चली गई। आदिवासियों का असंतोष बढ़ता ही चला गया जो किसी तरह रुकने का नाम नहीं ले रहा था। महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की गुहार हमेशा की तरह इस बार भी अनसुनी ही रह गई।
Read More" तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" के ओजस्वी उद्घोष से समग्र राष्ट्र में देशभक्ति त्याग और बलिदान के अनियंत्रित तूफान को सृजित करने वाले भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिधर्मा महानायक सुभाष चंद्र बोस का देश की आजादी के इतिहास में अनुपम और अतुलनीय योगदान हैं। भारत को विश्व की एक महान शक्ति बनाने के लिए संकल्पित सुभाष चंद्र बोस की अमिट छवि भारतीय जनमानस में नेताजी के रूप में अंकित है। 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में जन्मे सुभाष एक व्यावहारिक चिंतक, अद्भुत संगठन कर्ता और करिश्माई नेतृत्व के धनी थे जिनके स्वाभिमानी व्यक्तित्व में जादुई आकर्षण था।
Read Moreबच्चा लाल उन्मेश की कविता कौन जात हो भाई इंस्टाग्राम पर पोस्ट होने के आधे घंटे बाद ही हटा ली गई। छिछले प्रश्न गहरे उत्तर के नाम की इस लंबी कविता के साथ ही सोशल मीडिया पर दलित विमर्श को लेकर बहुत सारी बातचीत होने लगी। चूंकि, इस समय उत्तरप्रदेश और पंजाब में होने वाले चुनाव में दलित एक बड़ा वोट बैंक है। सभी राजनीतिक पार्टियां दलितों को अपनी अपनी तरह प्रभावित करने में लगी हुई है। राजनीतिक दलों को अक्सर चुनाव के समय ही दलित, पिछड़े, गरीब याद आते हैं। दरअसल, यह कविता है क्या पहले इसे जान लेते हैं-
Read Moreगुजरात मॉडल की टक्कर में छत्तीसगढ़ मॉडल आगामी चुनाव में भाजपा ने अपनाया और बहुत हद तक सफल हुआ। वहीं कांग्रेस छत्तीसगढ़ मॉडल की ओर बढ़ रहा है। दोनों के सोचने-समझने और काम करने के तौर-तरीके अलग हैं। एक पार्टी हिन्दुत्व का नारा लेकर चल रही है तो दूसरी धर्मनिरपेक्षता की, अपनी विरासत की बात करती है।
Read Moreछत्तीसगढ़ की राजधानी को स्मार्ट तरीके से बसाने के लिए रायपुर के नजदीक हजारों एकड़ जमीन अधिग्रहित किया गया। अरबों रुपए की लागत से नवा रायपुर बसाया गया कई किलोमीटर सड़कों का जाल बिछा दिया गया। दूधिया रोशनी से नहाए इस परीलोक में आम जनता का पैसा पानी की तरह बहाने में पिछली सरकार ने कहीं कोई गुरेज नहीं किया लेकिन जितना खर्च हुआ उतनी बसाहट आज तक वहां नहीं पहुंच पाई है। यहां तक सरकार के अफसर और मंत्री आज भी पुराने शहर में ही रहना पसंद करते है।
Read Moreकेंद्रीय स्वतंत्र एजेंसियां हो या राज्य सरकारों के अधीन वाला महकमा अधिकांश नौकरशाह और वहां कुर्सी पर बैठे लोगों की निष्ठा हस्तिनापुर के प्रति होती है, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गद्दी पर कौरव बैठे हैं या पांडव।
Read Moreअपने आयोजन के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहे 97 वें तानसेन समारोह ( 25-30 दिसंबर 2021,ग्वालियर, मध्य प्रदेश) ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में चमत्कार कर दिया है। एक तो इस समारोह ने इस आम धारणा को तोड़ा है कि शास्त्रीय संगीत आम जनता के लिए नहीं है तो दूसरी ओर इस बात को भी गलत साबित किया है कि नई पीढ़ी इससे विमुख हो रही है जैसा कि चैतन्य तम्हाणे की दुनिया भर में चर्चित मराठी फिल्म ' द डिसाइपल ' (2020) में हम देखते हैं।
Read Moreस्त्री-पुरुष के आपसी घनिष्ठ रिश्तों, दाम्पत्य में बंधने के लिए अब पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखना, एक दूसरे के परिवार को पहले से जानना या रिश्तेदारी या जात समाज का होना अब जरूरी नहीं है। कामकाज के लिए घर से निकले युवक-युवती को मनचाहा साथी चाहिए भले ही आपस में बहुत ज्यादा जान पहचान न हो। अब चट मंगनी पट ब्याह से आगे का मामला हो गया है।
Read Moreचुनाव आते ही पार्टियां जाति, धर्म, संप्रदाय के नाम पर वोट पाने के लिए बहुत कुछ करने पर आमदा रहती है। देश की आजादी के बाद से अब तक चाहे लोकसभा के चुनाव हो या विधानसभा के सभी जगह जातिगत आरक्षण एक बड़ा मुद्दा होता है। हमारे देश में आरक्षण के नाम पर मंडल आयोग की सिफारिशों को लेकर जो हालात बने वे किसी से छिपे नहीं हैं। सरकारों के पास नौकरियां नहीं है। शिक्षण संस्थानों की कमी है या यदि वे है भी तो वहां उच्च शिक्षा के लिए सीटें बहुत ही कम हैं।
Read Moreहमारा संविधान सभी को अभिव्यक्ति की आजादी देता है। अपनी बातों को रखने के लिए शासकीय सेवक संगठन बना सकते हैं। समय आने पर आंदोलन कर सकते हैं, विरोध दर्ज करा सकते हैं। किन्तु वर्दीधारी पुलिस बल को यह इजाजत नहीं है, इसलिए उन्हें कई बार अपनी मांगों के समर्थन में अपने परिवार जनो को आगे लाना होता है। इधर छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से पुलिस परिवार द्वारा चक्काजाम, आंदोलन, प्रदर्शन और सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात शासन-प्रशासन तक पहुंचायी जा रही है। छत्तीसगढ़ के बस्तर से नियमित भर्ती के लिए शुरु हुआ पुलिस बल का आंदोलन धीरे-धीरे विस्तारित हो गया। कहने को तो ये आंदोलन खत्म हो गया, परन्तु इसकी आग अंदर-अदर ही सुलगती नजर आती है।
Read Moreयह समय इतिहास और स्थापित सीमाओं को अपने हिसाब से महिमा मंडित करने या ध्वस्त करने का समय है। वोटों की राजनीति के चलते अब इतिहास संस्कृति और स्वाधीनता से जुड़ी बातों को राजनीतिक दल अपने चश्मे से देखकर सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते अब अधिकांश प्रचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ही संभव है। ऐसे में घर में बैठे लोगों के बीच ऐसी सूचनाएं, ऐसा इतिहास, ऐसी जानकारी पहुंचाते जा रहे हैं जो उन्हें सच लगे। उनकी जातीय अस्मिता को कम या ज्यादा बताकर एक-दूसरे के प्रति वैमनस्यता पैदा करने की कोशिशें हो रही हैं। यह सही है कि लोगों के बीच किताबें पढऩे की आदत कम हो रही है। नाटकों का मंचन लगभग बंद सा है किन्तु कुछ खास किताबों और नाटकों पर विवाद करके नाटकों के बहाने विवाद खड़ा किया जा रहा है, बशर्ते उन किताबों में ऐसा कुछ लिखा हो जो किसी स्थापित छबि को बनाया या बिगाड़ा जा सके।
Read Moreपिछले एक हफ्ते के भीतर छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। हालांकि, ज्यादातर संक्रमित गंभीर रूप से पीडि़त नहीं हैं। लगभग 90 फीसदी से ज्यादा लोग घर में ही आइसोलेट होकर अपना इलाज कर रहे हैं। पिछली बार की तरह ऑक्सीजन, वेंटिलेटर की जरूरत अब तक नहीं पड़ी है लेकिन जिस तादाद में रोज मरीज सामने आ रहे हैं वो सचेत करने वाला है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन नए वैरिएंट की जांच करने के लिए लैब नहीं है। इसको लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कई बार केन्द्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं लेकिन लैब की सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि टेस्ट रिपोर्ट में आने में देरी कहीं भारी न पड़ जाए।
Read Moreहमारे यहां कहावत है कि जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे। संत कबीर का दोहा है 'करता था तो क्यों रहा, अब काहे पछताय, बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से खाये। दरअसल हमारे देश में पिछले कुछ सालों में नफरत की राजनीति कुछ ज्यादा ही तेज हुई है। सोशल मीडिया के आने के बाद तो मानो इस पर ग्रहण लग गया है। इस नफरत की राजनीति का सर्वाधिक शिकार हमारी युवा पीढ़ी हो रही है। हाल ही में बुल्ली बाई एप बनाकर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी करने वाले लोग इसी नफरत की मानसिकता के शिकार हुए हंै।
Read Moreवैसे तो नक्सलवाद का जन्म शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए हुआ, लेकिन अपने शुरुआती दिनों में ही ये अपने लक्ष्य से भटककर समाज में खौफ का पर्याय बन गया। देश के 70 जिले इस समस्या से सीधे तौर पर जूझ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के जिले हैं।
Read Moreहमारी जीजिविषा हमें बुरे से बुरे हालात में जीने के लिए प्रेरित करती है। पिछले दो साल से लगातार कोरोना संक्रमण झेल रहे दुनिया भर के लोगों को धीरे-धीरे फिर से अपनी जीवन चर्या को कामकाज को रेगुलर करना शुरू ही किया था कि कोरोना की धमाकेदार एंट्री तीसरी लहर के रूप में हो चुकी है। एक फिल्मी गाना है कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के आने के बाद ही अनायास लोगों की जुबां पर आने लगा है जुबां पे दर्द भरी दास्तां चली आई, बहार आने से पहले ख़्हिज़ाँ चली आई। फरवरी 2020 से डरा रहा कोरोना संक्रमण समय के साथ धीरे-धीरे खतरनाक होता गया। दूसरी लहर के दौरान पूरे देश में व्यवस्थाओं की अफरा-तफरी और मौत का तांडव देखने वाले लोगों को इधर के तीन महीने में थोड़ी राहत महसूस हो रही थी।
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