रायपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर और राजिम में दो परिवारों के सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने में बड़ी सफलता मिली है। जबकि प्रदेश में अभी भी हजारो परिवार बहिष्कार का दंश झेल रहे है। इन परिवारों की सहायता के लिए सक्षम कानून बनाये जाने की आवश्यकता है।
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि जशपुर के पंडरीपानी फरसाबहार से सामाजिक बहिष्कार का मामला आया था। जिसमें प्रवीण बंजारा ने अपनी परेशानियों से दिनेश मिश्रा को पत्र लिखकर अवगत कराया। उसने सामाजिक बहिष्कार से तंग आकर दिनेश मिश्र जी से मदद मांगी थी।
प्रवीण बंजारा ने आगे बताया कि गांव के कुछ लोगों जिसमें सामाजिक पदाधिकारी शामिल थे उन लोगों ने सामाजिक बैठक बुलाकर उसमें उसका सार्वजनिक अपमान किया गया, और बैठक में ही उसके सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बन्द करने की घोषणा कर दी. उस बैठक में उसके परिजनों से पाँच हजार रुपए जुर्माना भी लिया गया.
उक्त प्रवीण बंजारा नामक युवक ने कुछ समय पहले समाज से बाहर प्रेम विवाह किया था जिस के लिये उक्त युवक को दोषी मानकर सामाजिक पंचायत ने उक्त परिवार को बहिष्कार की सजा दी. उक्त युवक ने डॉ दिनेश मिश्र को पत्र लिख कर अपनी परेशानियों व्यक्त की थी तथा बहिष्कार को खत्म करने में सहायता मांगी थी जिस पर कार्यवाही करते हुए डॉ. मिश्र ने युवक ,उसके परिजनों ,समाज के पदाधिकारियों से ,प्रशासन से भी सम्पर्क किया तथा चर्चा की जिस पर अंततः उक्त परिवार का बहिष्कार वापस हुआ .
इसी प्रकार दूसरा मामला राजिम के एक साहू परिवार की है। साहू परिवार ने भी समिति से अपने परिवार का बहिष्कार करने की सहायता मांगी थी। जिसके बाद समिति के पदाधिकारी उक्त ग्राम जाकर साहू समाज से चर्चा की। वो भी सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहा था। उन्हें समझा कर साहू परिवार का बहिष्कार खत्म करवाया गया।
डॉ मिश्र ने कहा कि इस तरह के सामाजिक बहिष्कार गंभीर कानूनी अपराध के दायरे में आता है। इस तरह के मामले में स्थानीय प्रशासन को त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को मानसिक,शारीरिक रूप से प्रताड़ना देना और उसे समाज से बहिष्कार करना अनैतिक एवं गंभीर अपराध के श्रेणी में आता है । उन्होंने कहा ऐसे अपराध मामले में सरकार को सक्षम कानून बनाना चाहिए ताकि प्रदेश के हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह सकें.