विश्व शांति
भारत माँ के लाल!
विद्या, चरित्र, वीरता, विवेक, विनय, सत्य, श्रम
इन रंगों में रँग कर
रख लो पूरे विश्व की लाज।
ज्ञान-भक्ति-सेवा की परिभाषा को
चरितार्थ करता
सच्चा प्रेम स्थापित हो
पूरे विश्व में मानवता का समाज निर्मित हो
सर्वत्र शांति का साम्राज्य हो।
आजादी का आनंद
आजादी का आनंद
और
शहीदों का दर्द
हम तभी समझ पाएँगे
जब हम
परहित सरिस धरम नहिं भाई।
परपीड़ा सम नहिं अधमाई।।
का मार्ग अपनाएँगे।
चाहे फूल मिलें या काँटे
यही होगी
हमारे परिवार,समाज,राष्ट्र,
और विश्व की सेवा।
ममत्व का आँचल
ममत्व का आँचल फैलाए
देख रही है
विवेक-बेटे की राह
कहो मेरे बेटे!
इस आँचल में बहाओगे
खून
या
दूध की धार!
बेटी है मधुरिमा
बेटी है मधुरिमा
पिता-भाई को सिखाती है
विनम्रता
पति की रहधर्मिणी
मातृ-रूप में
जगजननी ।
हमारा भारत
हमारा भारत सदैव शांतिदूत और जगद्गुरू
रहा है। हम किसी भी भाषा, प्रांत,या देश के हों,
पर हमारे हँसने-रोने तथा भूख की भाषा तो एक ही है।
हम सब को जीने के लिए कृषि,स्वास्थ्य और
शिक्षा की जरूरत है। इन में तन-मन-धन अधिक
से अधिक दें। हमें बम,बारूद,तोप,बंदूक नहीं
चाहिए।