राजनांदगांव। बस्तर संभाग प्रभारी प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष पवन मेश्राम ने कहा कि डॉ. बीआर अम्बेडकर कार्ल माक्र्स से भी बड़े नेता थे। बाबा साहब एवं माक्र्स दोनों ने ही लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स में पढ़ाई की थी, जहां आज भी इनकी तस्वीरें लगी हुई है।
मेश्राम ने कहा कि अम्बेडकर वहां कानून का अध्ययन करने गए थे और उसके बाद उन्होंने सामाजिक, परिवर्तन एवं आंदोलन की शुरूआत की। जबकि माक्र्स सिर्फ अर्थशास्त्र में विशेषज्ञता हासिल कर पाए। अम्बेडकर ने देश और समाज के लिए बहुत कुछ किया, इसलिए उन्हें किसी जाति विशेष से नहीं बांधा जाना चाहिए। अम्बेडकर ने सिर्फ एक विशेष समुदाय के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं, मजदूरों, पिछड़ा वर्ग, दलित और शोषित के हकों के लिए भी संघर्ष किया। महिलाओं को संपत्ति में समानता का हक जहां आज भी संसद में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं 1956 में जब संसद में इसकी राह में रोड़े अटकाए गए, तो अम्बेडकर ने मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया।
श्री मेश्राम ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर को जब काका कालेलकर कमीशन 1953 में मिलने गया, तब कमीशन का सवाल था कि आपने सारी जिंदगी पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए लगा दी। आपकी राय में उनके लिए क्या किया जाना चाहिए? बाबा साहब ने जवाब दिया अगर पिछड़े वर्ग का उत्थान करना है तो इनके अंदर बड़े लोग पैदा करो। काका कालेलकर यह बात समझ नहीं पाए। उन्होंने फिर सवाल किया, बड़े लोगों से आपका क्या तात्पर्य है? तब बाबा साहब ने जवाब दिया अगर किसी समाज में 10 डॉक्टर, 20 वकील और 30 इंजीनियर पैदा हो जाए तो उस समाज की तरफ कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता।