कोरोना ने आखिर जाने-माने संगीतकार कल्याण सेन को भी निगल लिया
गिरीश पंकज
कोरोना ने आखिर मेरे परम मित्र जाने-माने संगीतकार कल्याण सेन को भी निगल लिया। बुधवार की सुबह 5 बजे कल्याण सेन ने अंतिम सांस ली । कल्याण भाई से मेरा परिचय साढ़े चार दशक पुराना था। सन 1976 में जब पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय में हबीब तनवीर के निर्देशन में दस दिवसीय रंग शिविर का आयोजन हुआ था, तब मैं मनेंद्रगढ़ से शामिल होने के लिए आया था। तब से कल्याण सेन से जो मेरा आत्मीय परिचय बना, वह अंत तक बना रहा। उसी शिविर के दौरान कल्याण के छोटे भाई अनुराग (अब शेखर ) से भी परिचय हुआ । राजकमल नायक , आनन्द चौबे,अशोक मिश्रा,पुष्पा गुप्ता परवीन खान आदि से भी उसी वक्त परिचय हुआ जो लंबे समय तक जस का तस बना रहा। रायपुर आने के बाद कल्याण के साथ उनकी अनेक परियोजनाओं में मैं जुड़ता रहा। यह और बात है किन्हीं अपरिहार्य कारणों से परियोजनाएं आकार लेते लेते रह जाती थी। एक परियोजना में काम करने के लिए कल्याण सेन मुझे एक बार मुंबई भी ले गए।मुझे सांताक्रुज वाले अपने घर में ठहराया भी। दूसरे दिन हम महेंद्र कपूर के बेटे रोहन कपूर से मिले।
रोहन कल्याण के निर्देशन में कुछ गीतों को गाने वाले थे जिन्हें मैंने लिखा था। बाद में वह योजना भी पूरी ना हो सकी। कल्याण किशोर कुमार के जीवन पर भी एक नाटक प्रस्तुत करना चाहते थे जिसके लिए मैंने उनके कहे अनुसार बहुत कुछ दृश्य लिखे भी, लेकिन कल्याण भाई की व्यस्तता के चलते वह योजना भी अधूरी रह गई। क्योंकि सवाल जिजीविषा का भी था । उन्हें मुंबई से किसी ने किसी एल्बम के लिए बुलावा आ जाता और वे संगीत निर्देशन के लिए चले जाते थे। कल्याण सेन बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार थे। उनको जितनी ख्याति मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिल सकी । फिर भी उन्होंने अपनी सम्मानजनक पहचान कायम कर ली थी । लता मंगेशकर से तो उनके पारिवारिक संबंध ही थे। कल्याण जी ने 1993 में हिंदी फिल्म मैंने दिल दिया के लिए लता मंगेशकर से अपने निर्देशन में एक गीत गवाया था ।
वर्ष 2005 को मुंबई के स्वरलता स्टूडियो में एक छत्तीसगढ़ी गीत भी रिकॉर्ड कराया था। छत्तीसगढ़ी फिल्म "भखला' के लिए। गीत के बोल थे, ''छूट जाही अंगना अटारी .... छूटही बाबू के पिठइया।'' कल्याण के संगीत निर्देशन में अनेक गायकों ने एल्बम निकाले। कल्याण भाई को उनके अतुलनीय योगदान के लिए छत्तीसगढ़ी फिल्मोद्योग ने सम्मानित भी किया था। कल्याण सेन कमला देवी संगीत महाविद्यालय के प्राचार्य भी थे। महाविद्यालय उनके महान पिता डॉ अरुण कुमार सेन और माता अनिता सेन ने स्थापित किया था । अरुण कुमार सेन खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति थे और उनके कार्यकाल में ही स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर को डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई थी। कल्याण सेन का अचानक यूँ चला जाना छत्तीसगढ़ी से एक बड़े संगीतकार का चला जाना है। उनको शत शत नमन।