आँगन का घर
सरकता है धूप में
समय की छाया-सा
संध्या में विलीन होती काया-सा
घर के आँगन में वृक्ष का घर
वृक्ष के आँगन में पक्षी का घर
आकाश के आँगन में उड़कर
संध्या में विलीन होती काया-सा
लौटता पक्षी वृक्ष के आँगन में
अनन्त के आँगन में आकाश का घर
आकाश के आँगन में सूर्य का घर
सूर्य के आँगन में चन्द्रमा का घर
संध्या में विलीन होती काया-सा
सूर्य जा रहा चन्द्रमा के घर
उगती काया-सा चला आ रहा
रात्रि के आँगन में चन्द्रमा
डूब रहा भोर की काया में
इतने बड़े आँगन में
कहाँ है किसी का घर
सब खोज रहे अपना-अपना घर
एक-दूसरे की काया में