महात्मा गांधी नरेगा के पौधरोपण और गाद सफाई काम से बढ़ गई हसदेव नदी की सुंदरता
बैकुण्ठपुर।
जल है तो कल है और जब यह नैसर्गिक रूप से नदियों में भरा हो तो और भी
ज्यादा आकर्षित करता है। कलेक्टर एंव जिला कार्यक्रम समन्वयक एस एन राठौर
के निर्देषानुसार जल के नैसर्गिक स्रोतों के सुधार के साथ पुरानी जलसंचय की
संरचनाओं को सुधारने के लिए अभियान चलाकर महात्मा गांधी नरेगा के तहत
कार्य कराए जा रहे हैं। कोरिया जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों में महात्मा
गांधी नरेगा के तहत कुल 160 कार्य स्वीकृत किए गए हैं। विभिन्न कार्य अभी
प्रगतिरत हैं परंतु इनके लाभप्रद परिणाम प्राप्त होने लगे हैं। इस तरह का
एक कार्य सोनहत जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम मेंड्रा के पहाड़ से निकलने वाली
हसदेव नदी के स्टापडेम पर किया गया है। ग्राम पंचायत के पहल पर बीते वर्ष
इसमें महात्मा गांधी नरेगा के तहत गाद सफाई और पौधारोपण का कार्य स्वीकृत
हुआ और महात्मा गांधी नरेगा के तहत सुधार कार्य के बाद से यह स्टापडेम फिर
से अपने पुराने लाभकारी स्वरूप में आ गया है। अब इस स्टापडेम में पर्याप्त
पानी संचित होने से आसपास के किसानों ने रबी की फसल लगा ली है। इससे अब यह
क्षेत्र काफी मनमोहक लगने लगा है।
सोनहत के किनारे ग्राम
मेंड्रा से उद्गम के बाद समीपस्थ ग्राम पंचायत कैलाषपुर और ग्राम पंचायत
सलगंवा को विभाजित करते हुए हसदेव नदी बहती है। इस नदी पर बारिष के दिनों
में बहुत बहाव रहता है परंतु ठंड कम होते ही इसका पानी लगभग सूखने की कगार
पर आ जाता है। काफी पहले सिंचाई विभाग के द्वारा यहां निर्मित स्टापडेम कुछ
समय तक उपयोगी रहा परंतु समय बीतने के साथ ही यह स्टापडेम मिट्टी गाद और
झाड़ियों से पटकर पूरी तरह से उपयोग विहीन हो चुका था। इससे सलगंवा और
कैलाषपुर में नदी किनारे बसने वाले आसपास के किसान चाहकर भी धान के अलावा
दूसरी फसल नहीं ले पाते थे। पानी का भराव न होने से स्थानीय किसानों को
स्टापडेम का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था। ग्राम पंचायत सलगंवा और कैलाषपुर
के बीच हसदेव नदी पर बने इस स्टापडेम के किनारे खेती करने वाले ग्राम
पंचायत सलगंवा के किसान सुग्रीव और ज्योतिष प्रसाद ने बताया कि स्टापडेम
खराब हो जाने के कारण यहां से रबी की फसल के लिए पानी नहीं मिल पाता था। हम
केवल धान की फसल लगाते थे फिर जमीन खाली पड़ी रहती थी। इसी तरह की बात कहते
हुए ग्राम पंचायत कैलाषपुर के किसान श्री ष्यामलाल और देवषरण ने बताया कि
स्टापडेम की सफाई हो जाने से अब बहुत पानी रूक गया है। गेंहू की फसल के बाद
भी हम कुछ और खेती करने का मन बना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में
स्टापडेम की गाद निकासी और पौधारोपण का यह काम अभी प्रगतिरत ही है परंतु
बारिष के बाद ग्राम पंचायत ने किसानों की मांग पर इसमें गेट लगा दिया और
लगभग हजार मीटर दूर तक पानी भर गया है। इससे दो गांव के दर्जनभर किसानों ने
अपने खेतों में गेंहूं की फसल लगा ली है।
जिला पंचायत सीइओ
कुणाल दुदावत ने बताया कि हसदेव नदी पर बने इस स्टापडेम की गाद निकासी
कार्य और पौधारोपण कार्य का तकनीकी प्रस्ताव बनाकर गाद निकासी के साथ लंबाई
में नदी के किनारे पौधारोपण कार्य लिया गया है। 11 लाख रूपए के इस कार्य
में ग्राम पंचायत सलगंवा को निर्माण एजेंसी बनाया गया है। प्रथम चरण में
कराए गए इस कार्य में अब तक लगभग पांच लाख रूपए की श्रम राषि खर्च की गई
है। जिससे वैष्विक महामारी के दौरान दोनो गांव के पंजीकृत श्रमिक परिवारों
को 500 से ज्यादा मानव दिवस का रोजगार भी प्रदान किया गया है।
जिससे वैष्विक महामारी के दौरान दोनो गांव के पंजीकृत श्रमिक परिवारों को 500 से ज्यादा मानव दिवस का रोजगार भी प्रदान किया गया है। स्टापडेम में गेट बंद करने से अभी लगभग एक किलोमीटर पीछे तक पर्याप्त पानी का भराव हुआ है और किसानों ने इसका लाभ लेना षुरू कर दिया है। इस स्टापडेम से सिंचाई का पानी लेते हुए ग्राम पंचायत कैलाषपुर के श्री सुग्रीव, सुखराज, ज्योतिष प्रसाद, रामसुभग सिंगारसाय और धन साय सहित ग्राम पंचायत कैलाषपुर के श्यामलाल, देवषरण, समयलाल सहित अन्य किसानों की लगभग पंद्रह एकड़ भूमि सिंचित हो रही है। महात्मा गांधी नरेगा के तहत हो रहा यह कार्य अपने प्रांरभिक चरण में ही किसानों के लिए लाभप्रद साबित हो रहा है।