मुंबई. देश में बन रहे कोरोना टीके को लेकर एक बेहद अच्छी खबर आ रही है। कोवैक्सिन नामक इस टीके के छह से 12 महीने तक असरदार रहने की संभावना है। टीके के पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों के आधार पर यह आकलन किया गया है। हालांकि, टीका अभी तीसरे चरण के परीक्षण में है। इसके पूरा होने के बाद स्थिति और स्पष्ट हो पाएगी।
भारत बायोटेक और एनआईवी पुणे द्वारा विकसित किए गए कोवैक्सिन टीके के पहले व दूसरे चरण के परीक्षणों को लेकर साइंस जर्नल मेडीरेक्सीव में शोध पत्र प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि दूसरे चरण में 380 स्वस्थ लोगों पर किए गए परीक्षणों में यह नतीजा निकला कि टीके का मनुष्य की टी सेल मेमोरी रिस्पांस अच्छा है। इसके साथ ही इसमें पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबाडी पैदा हो रही हैं।
कोवैक्सिन के फामूर्ले बीबीवी 152 में पाया गया है कि पहले चरण में 104 दिनों तक एंटीबाडी मौजूद पाई गई और दूसरी डोज देने के बाद इनमें दोगुनी बढ़ोतरी दिखी है। इसी के आधार पर यह आकलन किया गया है कि न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबाडी छह से 12 महीने तक असरदार रह सकती हैं। आंकलन में इस तथ्य को भी ध्यान में रखा गया है कि जब 104 दिनों तक न्यूट्रीलाइजिंग एंडीबाडी पाई गई तब कोरोना चरम पर था। परीक्षण में 12 से 65 साल तक की उम्र के लोगों को शामिल किया गया। सभी उम्र और लिंग के लोगों पर टीके का असर एक जैसा देखा गया है। लोगों को इंजेक्शन के जरिये टीका दिया गया। छह माइक्रोग्राम की खुराक ज्यादा प्रभावी पाई गई है।
इस अध्ययन में एम्स दिल्ली, पटना, पीजीआई रोहतक समेत कुल 12 संस्थान शामिल हैं। सभी संस्थानों के शोधकर्ताओं ने यह शोधपत्र लिखा है। चूंकि इस टीके के परीक्षण 12 साल तक के बच्चों पर हुए हैं इसलिए इस उम्र तक के बच्चों को इस दिया जा सकेगा। शोध में टीके के न्यूनतम और मामूली दुष्प्रभाव होने की बात कही गई है।
खुशखबरी : एक साल तक असरदार रह सकती है कोवैक्सिन, इस टीके के छह से 12 महीने तक असरदार रहने की संभावना
